सिमरी बख्तियारपुर, (सहरसा)।
जाप सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सोमवार को शहीद आशीष कुमार सिंह के पैतृक आवास सरोजा जाकर शहीद परिवार के परिजनों से मिलकर शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने आवास पर रखे शहीद आशीष के चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। एवं शहीद के 7 वर्षीय पुत्र शौर्यमान सिंह एवं 5 वर्षीय पुत्री गुड़िया को गले लगाया। उन्होंने शहीद की पत्नी सरिता सिंह एवं मां रुकमणी देवी से भी मिले। पत्नी एवं मां ने पप्पू यादव को देखते ही दहाड़ मारकर रो पड़ी। वहां अत्यंत कारूणिक दृश्य उपस्थित हो गया। वहां उपस्थित हर किसी की आंखें नम हो गई। सांसद भी रोने से अपने आप को नहीं रोक पाए। शहीद के पिता गोपाल सिंह एवं भाई विपुल, सिंह राकेश सिंह सभी से मिलकर घटना की पूरी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि आशीष से मेरा व्यक्तिगत लगाव था। बेगूसराय में जब उसे गोली लगने से घायल हुए थे। उस समय हम उनके पास गए थे। जब भी खगड़िया होकर गुजरता उससे मुलाकात होती। मुझे जब इसकी सूचना मीली तो सहज विश्वास नहीं हुआ। आशीष कर्तव्यनिष्ठ, जांबाज, साहसी पुलिस पदाधिकारी थे। उनकी असामयिक मौत से मुझे गहरा धक्का पहुंचा है। उन्होंने शोक संतृप्त परिजनों को सांत्वना भी दी। इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में अपराधिक की गतिविधि चरम सीमा पर है। बालू , शराब, ठेकेदार एवं जमीन दलाल माफिया के गठजोड़ से शासन तक चल रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में 9 महीने के अंदर 8 दरोगा शहीद हुए हैं। छपरा के अमरेंद्र तिवारी 2014 में शहीद हुए थे। लेकिन अब तक उसके वारिश को सरकारी नौकरी तक नहीं मिल पाई है। शहीद की पत्नी दर दर की ठोकर खाने के लिए बाध्य है। यह बिहार सरकार की कहानी है। उन्होंने कहा कि बिहार में एक भी अच्छे पदाधिकारी रहना नही चाहते है। वे अन्य प्रदेश में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। यहां जो अच्छे पदाधिकारी हैं। वे शहीद हो रहे हैं। सियासत सत्ता का खेल अपराधी एवं जातीय रणनीति के आधार पर की जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार मुझे 72 घंटे का मौका दें। मैं बिहार में ही एक ही अपराधी को रहने नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि बिहार पुलिस की हालत चिंताजनक है। चौकीदार से लेकर पुलिस तक को कोई ट्रेनिंग समय समय पर नहीं दी जाती है। पुलिस के वरीय अधिकारी कैबिन में बैठकर अपने से छोटे पुलिस पदाधिकारी को फरमान जारी करते हैं। शहीद आशीष कुमार सिंह को चंद पुलिसकर्मी ट्रैक्टर के माध्यम से दियारा के कुख्यात अपराध कर्मियों को पकड़ने की आदेश दी जाती है। परिणाम ऐसा होता है हमारे गांव का भाई शहीद होता है। लेकिन शहीद की पत्नी और बच्चे को देखने वाला अब इस सरकार में कोई नहीं है। उन्होंने शहीद के दोनों बच्चों की परवरिश एवं बिहार सरकार की तरफ से उचित मुआवजे अविलंब देने की मांग की है। इस अवसर पर जाप के जिला अध्यक्ष अब्दुल सलाम, सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र भगत, हरिहर गुप्ता प्रवक्ता शैलेंद्र शेखर, महबूब आलम जीबू, मुखिया इंदल यादव, शशि यादव, तारिक अनवर सिद्दकी, संजय यादव, अभिनव, अभिमन्यु यादव, नीतेश राज, सहित अन्य लोग भी साथ में थे।
जाप सुप्रीमो राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सोमवार को शहीद आशीष कुमार सिंह के पैतृक आवास सरोजा जाकर शहीद परिवार के परिजनों से मिलकर शोक संवेदना व्यक्त की। उन्होंने आवास पर रखे शहीद आशीष के चित्र पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। एवं शहीद के 7 वर्षीय पुत्र शौर्यमान सिंह एवं 5 वर्षीय पुत्री गुड़िया को गले लगाया। उन्होंने शहीद की पत्नी सरिता सिंह एवं मां रुकमणी देवी से भी मिले। पत्नी एवं मां ने पप्पू यादव को देखते ही दहाड़ मारकर रो पड़ी। वहां अत्यंत कारूणिक दृश्य उपस्थित हो गया। वहां उपस्थित हर किसी की आंखें नम हो गई। सांसद भी रोने से अपने आप को नहीं रोक पाए। शहीद के पिता गोपाल सिंह एवं भाई विपुल, सिंह राकेश सिंह सभी से मिलकर घटना की पूरी जानकारी ली। उन्होंने कहा कि आशीष से मेरा व्यक्तिगत लगाव था। बेगूसराय में जब उसे गोली लगने से घायल हुए थे। उस समय हम उनके पास गए थे। जब भी खगड़िया होकर गुजरता उससे मुलाकात होती। मुझे जब इसकी सूचना मीली तो सहज विश्वास नहीं हुआ। आशीष कर्तव्यनिष्ठ, जांबाज, साहसी पुलिस पदाधिकारी थे। उनकी असामयिक मौत से मुझे गहरा धक्का पहुंचा है। उन्होंने शोक संतृप्त परिजनों को सांत्वना भी दी। इस अवसर पर उन्होंने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार में अपराधिक की गतिविधि चरम सीमा पर है। बालू , शराब, ठेकेदार एवं जमीन दलाल माफिया के गठजोड़ से शासन तक चल रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार में 9 महीने के अंदर 8 दरोगा शहीद हुए हैं। छपरा के अमरेंद्र तिवारी 2014 में शहीद हुए थे। लेकिन अब तक उसके वारिश को सरकारी नौकरी तक नहीं मिल पाई है। शहीद की पत्नी दर दर की ठोकर खाने के लिए बाध्य है। यह बिहार सरकार की कहानी है। उन्होंने कहा कि बिहार में एक भी अच्छे पदाधिकारी रहना नही चाहते है। वे अन्य प्रदेश में रहना ज्यादा पसंद करते हैं। यहां जो अच्छे पदाधिकारी हैं। वे शहीद हो रहे हैं। सियासत सत्ता का खेल अपराधी एवं जातीय रणनीति के आधार पर की जाती है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार मुझे 72 घंटे का मौका दें। मैं बिहार में ही एक ही अपराधी को रहने नहीं दूंगा। उन्होंने कहा कि बिहार पुलिस की हालत चिंताजनक है। चौकीदार से लेकर पुलिस तक को कोई ट्रेनिंग समय समय पर नहीं दी जाती है। पुलिस के वरीय अधिकारी कैबिन में बैठकर अपने से छोटे पुलिस पदाधिकारी को फरमान जारी करते हैं। शहीद आशीष कुमार सिंह को चंद पुलिसकर्मी ट्रैक्टर के माध्यम से दियारा के कुख्यात अपराध कर्मियों को पकड़ने की आदेश दी जाती है। परिणाम ऐसा होता है हमारे गांव का भाई शहीद होता है। लेकिन शहीद की पत्नी और बच्चे को देखने वाला अब इस सरकार में कोई नहीं है। उन्होंने शहीद के दोनों बच्चों की परवरिश एवं बिहार सरकार की तरफ से उचित मुआवजे अविलंब देने की मांग की है। इस अवसर पर जाप के जिला अध्यक्ष अब्दुल सलाम, सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र भगत, हरिहर गुप्ता प्रवक्ता शैलेंद्र शेखर, महबूब आलम जीबू, मुखिया इंदल यादव, शशि यादव, तारिक अनवर सिद्दकी, संजय यादव, अभिनव, अभिमन्यु यादव, नीतेश राज, सहित अन्य लोग भी साथ में थे।
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